होली की आई बहार ----






                            चलो री सखी देखन

होली की आई बहार 

आई बहार देखो 

छाई बहार 

चलो री सखी देखन

होली की छाई बहार ।

गुजिया बनाय हम 

  रखलौं अंगनमा

  अब हूं ना ऐले

   मोरे सुंदर सजनवा

सजनवा के करुं इन्तजार ।

चलो री सखी देखन------ ।

मालपूआ बनाय हमें

रखलौं अंगनवां

 अब तक ना आयो

मेरा निष्ठुर सजनवा

बैठ-बैठ के कमर पिराय

चलू सखी देखन  ।

ठेकुआ बनाई हम

रखलौं अंगनमा

अब तक ना आयो

 बेदर्दी सजनवा 

अंखिया दरद (दर्द) से पिराय

चलो री सखी देखन-- ।

स्वाली बनाय हम 

रखलौं अंगनमा

अब तक ना आयो मेरा

बैरी सजनमा

ननद जी के मन हरषाय

चलो  रे सखी देखन ।

दही भल्ला बनाय हम

रखलौं अंगनमा

अब तक ना आयो

सासु जी के ललनमां

सासु मोहे ताना सुनाय

चलो री सखी देखन------ ।

रंग गुलाल लेके 

ठार छी अंगनमां 

अब तक ना दीखले

परछाई सजनवा 

आशा पे पानी फिर जाय 

चलो रे सखी देखन------ ।

डॉ० संजुला सिंह " संजू"


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