नववर्ष: एक अनवरत यात्रा
नववर्ष का आगमन एक ऐसा क्षण है, जिसमें समय के अनंत प्रवाह में क्षणिक ठहराव का आभास होता है। यह एक ऐसी बेला है, जब मनुष्य अपने अतीत के बिखरे पन्नों को संजोता है और भविष्य के स्वप्निल पृष्ठों पर नए रंग भरने की कल्पना करता है। नववर्ष केवल एक तारीख नहीं है; यह एक भावनात्मक अनुभूति है, जो मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूती है।
इस पल में, जब रात और दिन के संगम से नया दिन जन्म लेता है, मनुष्य के भीतर एक अदृश्य स्पंदन जागृत होता है। यह स्पंदन न केवल उत्सव की उमंग है, बल्कि जीवन के प्रति एक नई दृष्टि का संचार है। इस दृष्टि में आशा, आकांक्षा और असीम संभावनाएं छिपी होती हैं।
सड़कों पर जगमगाती रोशनी, आकाश में आतिशबाज़ी का उजाला, और चारों ओर गूंजती हंसी—ये सब नववर्ष के आगमन के प्रतीक मात्र हैं। असली उत्सव तो मन के भीतर होता है, जब बीते वर्ष की चुनौतियों और उपलब्धियों को स्मरण करते हुए व्यक्ति अपने भीतर नई ऊर्जा का संचार करता है। यह ऊर्जा केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं रहती, बल्कि परिवार, समाज और समग्र मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बनती है।
नववर्ष के अवसर पर हर व्यक्ति के भीतर एक कवि जन्म लेता है। वह अपने अतीत की गलतियों से सबक लेकर, वर्तमान के क्षणों में जीते हुए, भविष्य के लिए कविताएं लिखता है। यह कविताएं शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में, संवेदनाओं में और सपनों में रची जाती हैं। ये कविताएं उस विश्वास को प्रकट करती हैं, जो कहता है कि हर अंधकार के बाद उजाला आता है, और हर ठहराव के बाद गति।
नववर्ष का स्वागत करते हुए, मानवता के इस सामूहिक उत्सव में, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने भीतर के द्वंद्वों से मुक्त हों। बीते समय की कड़वाहट और पछतावे को छोड़कर, हमें अपने भीतर प्रेम, सहिष्णुता और करुणा का दीप प्रज्वलित करना चाहिए। यह दीप न केवल हमारे जीवन को आलोकित करेगा, बल्कि उन लोगों के जीवन में भी प्रकाश फैलाएगा, जो अंधेरे में भटक रहे हैं।
नववर्ष का उत्सव केवल भौतिक नहीं है; यह एक आध्यात्मिक यात्रा भी है। यह हमें याद दिलाता है कि समय, जो हमारे जीवन का आधार है, न तो रुकता है और न ही लौटता है। इसलिए, हर क्षण को मूल्यवान समझकर उसे संजोना और उसे सार्थक बनाना ही नववर्ष का सच्चा अर्थ है।
जब हम नववर्ष के अवसर पर अपनी प्राथमिकताओं और लक्ष्यों को पुनः निर्धारित करते हैं, तो यह अनिवार्य है कि हम अपने पर्यावरण और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी समझें। एक नए वर्ष का आरंभ तभी सार्थक होगा, जब हम इसे केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी बेहतर बना सकें। यह नववर्ष का सबसे बड़ा संदेश है—साझा समृद्धि और सामूहिक कल्याण।
नववर्ष के साथ ही प्रकृति भी अपनी सजीवता का प्रमाण देती है। सर्दियों की ठिठुरन के बीच नए पत्ते, नई कोंपलें और नई ऋतुएं अपने आगमन का संकेत देती हैं। यह संकेत हमें याद दिलाता है कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है और इसे अपनाना ही सच्चा जीवन है।
इस नववर्ष पर, जब हम अपने चारों ओर नए उत्साह और उल्लास का अनुभव करते हैं, हमें यह भी सोचना चाहिए कि यह उल्लास कैसे स्थायी बन सकता है। यह स्थायित्व केवल भौतिक उपलब्धियों से नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और संतोष से प्राप्त होता है। इस संतोष की ओर बढ़ने का मार्ग सरल है—अपने भीतर के सत्य को पहचानना और उसे स्वीकार करना।
जीवन की इस यात्रा में, नववर्ष एक ऐसा पड़ाव है, जहां हम ठहरकर अपनी उपलब्धियों और असफलताओं का लेखा-जोखा करते हैं। यह ठहराव हमें न केवल आत्मनिरीक्षण का अवसर देता है, बल्कि आत्मविश्वास भी प्रदान करता है कि आने वाले दिन बेहतर होंगे।
नववर्ष के स्वागत में, जब हम गाते और नाचते हैं, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह केवल एक शुरुआत है। यह उस यात्रा का पहला कदम है, जो हमें अज्ञात और अनंत संभावनाओं की ओर ले जाएगी। इस यात्रा में, हमें अपने भीतर के डर, संकोच और असुरक्षाओं को त्यागकर, साहस और उत्साह को अपनाना होगा।
हर नववर्ष हमें यह याद दिलाता है कि जीवन एक अनवरत प्रवाह है, जिसे रोकना संभव नहीं है। यह प्रवाह हमें न केवल अपने साथ बहने के लिए प्रेरित करता है, बल्कि दूसरों को भी अपने साथ ले चलने के लिए आमंत्रित करता है। यह आमंत्रण केवल प्रेम और विश्वास के माध्यम से ही संभव है।
जब हम नववर्ष के इस पावन अवसर पर अपने प्रियजनों के साथ समय बिताते हैं, तो हमें यह भी याद रखना चाहिए कि जीवन का हर क्षण ऐसा ही हो सकता है। हर दिन को एक उत्सव, एक अवसर और एक नई शुरुआत के रूप में देखना ही नववर्ष का वास्तविक संदेश है।
इस नववर्ष पर, जब हम अपने सपनों और आकांक्षाओं की ओर कदम बढ़ाएं, तो यह सुनिश्चित करें कि हमारे कदम न केवल हमें, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करें। यह प्रेरणा न केवल हमारी सोच और कर्मों में हो, बल्कि हमारे दृष्टिकोण और संवेदनाओं में भी झलके।
समय के इस अनवरत प्रवाह में, नववर्ष एक मील का पत्थर है, जो हमें यह याद दिलाता है कि हर अंत एक नई शुरुआत है। यह शुरुआत न केवल बाहरी दुनिया में, बल्कि हमारे भीतर भी होती है। यह एक ऐसा क्षण है, जब हम अपने भीतर की असीम संभावनाओं को पहचानते हैं और उन्हें साकार करने का संकल्प लेते हैं।
नववर्ष का यह संदेश केवल एक दिन या एक क्षण के लिए नहीं है। यह एक सतत प्रक्रिया है, जो हमें हर दिन, हर क्षण प्रेरित करती है। इस प्रेरणा को अपने जीवन का हिस्सा बनाना और इसे दूसरों के साथ साझा करना ही नववर्ष का सच्चा अर्थ है।
इस नववर्ष पर, जब हम अपने जीवन की नई किताब का पहला पन्ना पलटें, तो यह सुनिश्चित करें कि इस किताब में केवल हमारे सपनों की कहानी न हो, बल्कि उन सपनों की भी हो, जो हम दूसरों के लिए देखते हैं। यही नववर्ष का वास्तविक संदेश है—सपनों को साकार करने का, अपने भीतर के कवि को जगाने का, और जीवन को एक कविता बनाने का।
---प्रो. रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव 'परिचय दास'