अगस्त माह में प्रमुख कृषि कार्य ,किसान भाई क्या करें- प्रो रवि प्रकाश
देवरिया -खरीफ में अधिकांश फसलों, सब्जियों की बोआई/ रोपाई हो चुकी है। इस समय खरीफ फसलों पर बहुत ही ध्यान देने की आवश्यकता है। धान की फसल में खैरा रोग लगने की संभावना इस समय रहती है। खैरा रोग जिंक की कमी के कारण होता है। इस रोग में पत्तियाॅ पीली पड़ जाती हैं, जिस पर बाद में कत्थई रंग के धब्बे बन जाते हैं।
इसके प्रबंधन के लिए 2 किग्रा जिंक सल्फेट, 8 किग्रा यूरिया को 400 लीटर में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। ज्वार,बाजरा ए्वं मक्का की 30-40 दिन की फसल में नत्रजन की शेष मात्रा का प्रयोग करें। मक्का में तना छेदक कीट के प्रकोप होने पर पौधे के बीच का गोभ सुख जाता है।
फाल आर्मी वर्म कीट मक्का की फसल की सभी अवस्थाओं में हानि पहुंचाता है।यह कीट पत्तियों, गोभ के साथ साथ बाली को भी नुकसान पहुंचाता है। तना छेदक एवं फाल आर्मी वर्म कीट के प्रबंधन हेतु इन्डाक्साकार्ब 200 मिली को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
अरहर, उर्द, मूंग की निगरानी करते रहें। अगस्त माह में गन्ने की बढ़वार बहुत तेजी से होती है। तथा फसल गिरने की संभावना बनी रहती है। फसल को गिरने से बचाने के लिए दो कतारों के बीच नाली बना कर निकाली गई मिट्टी को ऊपर चढ़ाया जाना चाहिए। बैगन, भिण्डी की तैयार फलों को तोड़कर बिक्री या उपयोग करें।
जुलाई माह में लगाई गई मिर्च एवं टमाटर की फसल में (रोपाई के 30 दिन बाद) 24 किग्रा यूरिया प्रति एकड़ की दर से प्रयोग कर निराई गुडा़ई करें।
गत माह लगाई गई भिण्डी की फसल में 30 किग्रा यूरिया प्रति एकड़ में प्रयोग करें।
बंदगोभी की अगैती फसल हेतु नर्सरी डाल दें। मूली की पूसा चेतकी प्रजाति की बुआई मेढ़ों पर करें।
सब्जियों में जलभराव की दशा में जलनिकासी की ब्यवस्था सुनिश्चित करें।