डायबिटीज की अधूरी जांच, खाने का तेल और दूध बन रहा है लोगों के लिए जहर


नई दिल्ली -देशभर में मांग और आपूर्ति में दूध के मामले में भारी अंतर होने के चलते खासकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दूध लोगों के लिए जहर बनती जा रही है, तो वहीं दूसरी ओर मधुमेह बिमारी में आधुनिक जांच उपलब्ध होने के बावजूद भी डायबिटीज के रोगियों के लिए आधी अधूरी जांच के कारण लगातार मधुमेह रोगियों की संख्या पूरे देश भर में बढ़ती जा रही है। उपरोक्त बातें देश के जाने-माने वैज्ञानिक और एप्रोपीरीएट डायट थेरेपी सेंटर के फाउंडर सीएमडी डॉ एस कुमार और डॉक्टर भाग्यश्री ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कही।

इस दौरान पत्रकारों के सवालों का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि पूरे भारतवर्ष में उनके 50 से ज्यादा सेंटरों पर सालों से मधुमेह रोगियों के आने के बाद ज्यादातर मरीजों के जांच के दौरान यह पाया कि उसे तो डायबिटीज था ही नहीं फिर वह दवा और इंसुलिन क्यों ले रहे हैं? डॉ कुमार ने बताया कि मेडिकल साइंस में जिन बातों का जिक्र है उस पर ज्यादातर चिकित्सक ध्यान नहीं देकर वही घिसा पिटा महज तीन टेस्ट फास्टिंग शुगर, पोस्ट मील और HbA1c करवाकर मरीजों को सीधे दवा और इंसुलिन शुरू कर रहे हैं जो आने वाले समय के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होगा।

प्रसिद्ध चिकित्सक और वैज्ञानिक डॉ कुमार का कहना है कि वह दावे के साथ कह सकते हैं और कहते हैं कि भारत में जितने भी शुगर के मरीज दवा और इंसुलिन ले रहे हैं अगर उनका आज आधुनिक प्रकार से टेस्ट की जाए तो 90% से ज्यादा रोगी ऐसे निकलेंगे जिन्हें शुगर होगा ही नहीं। उन्होंने कहा की आज विज्ञान की दुनिया है विज्ञान हर क्षेत्र में तरक्की कर रही है तो लोगों को भी विज्ञान के साथ चलना होगा तभी देश की उन्नति है और तरक्की है। 

डॉ कुमार ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा यह तो सरासर चिकित्सा के क्षेत्र में मरीजों के साथ एक नाइंसाफी है। क्योंकि जब बदलते जमाने के साथ आज आधुनिक जांच की भी सुविधा हो गई है तो फिर आखिर किन कारणों से चिकित्सक मरीज को बताते भी नहीं है।वह तो खुद हैरान है कि जब मरीजो में बीटा सेल फंक्शन सही है,और सी पेप्टाइड भी सामान्य है फिर दवा या इन्सुलीन क्यों? यह उनके समझ से भी पड़े हैं।उन्होंने अब तक आने वाले जीतने भी रोगियों की जांच की तो उन्होंने पाया कि 90% से ज्यादा रोगियों में शुगर था ही नहीं। 

डॉ कुमार का कहना है कि बदलते जमाने के साथ पहले के तीन प्रकार के टेस्ट के अलावा अन्य और जो आधुनिक प्रकार की जांच है और वह अब देश में उपलब्ध हैं।जैसे फास्टिंग सिरम इन्सुलिन, सी पेप्टाइड, हाेमा(आईआर), बीटा सेल फंक्शन और इन्सुलिन सेंसटिविटी की टेस्ट करवा करके ही मरीजों को सलाह देनी चाहिए जो आज नहीं हो रही है।

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