तिरंगे की शान


हमारे देश का झण्डा मुबारक़ हो, मुबारक़ हो।

हमारा शान- ए तिरंगा मुबारक़ हो, मुबारक़ हो।।

अमन हो , चैन हो, हिन्दोस्ताँ के कोने- कोने में,

हमें खुशियों भरा सेहरा मुबारक़ हो, मुबारक़ हो ।।

पचहत्तर  साल में  हमने जो अमरित घूँट पीये   हैं,

सब की खुश- किस्मती में अपने ही परवान देखे हैं।

सबके दिल में बहती हैं वो गंगा जी मुबारक़ हो, मुबारक़ हो।।

हम हिन्दुस्तान को मिल-जुल कर रखेंगे क़रीने से, 

इसे आगे बढ़ाएँगे , हम अपने ही पसीने से।

वतन के वास्ते कन्धा से हर कन्धा मुबारक़ हो, मुबारक़ हो।।

हर एक मर्द, हर औरत, हर एक धर्म के साथी,

हर मजदूर, हर किसान , हर जवान कमकाजी।

इन्हें इस मुल्क़ में बढ़ने का हर जज़्बा मुबारक़ हो, मुबारक़ हो 

हमारी फसलें लहराएँ, हमारे सपने पूरे हों,

नई तकनीक़ औ तरक़ीब में  हम ना अधूरे हों।

किशन की, राम की  धरती का हर ज़र्रा मुबारक़ हो, मुबारक़ हो 

हर एक ज़बान को बढ़ने का मौक़ा हो, तरीक़ा हो,

अपनी तहजीब को दुनिया में ले जाने का सलीक़ा हो।

हमारे भाईचारे का हर एक धागा मुबारक़ हो, मुबारक़ हो।।

होली हो, दिवाली हो, बड़ा दिन, ईद खुशी वाली हो,

विरासत पे गुरूर औ ज़िंदगी आगे उजाली हो।

अँधेरा हो तो परिचय दास की शम्मा मुबारक़ हो, मुबारक़ हो।।

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प्रोफेसर रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव 'परिचय दास'

प्रोफेसर, हिन्दी विभाग

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