बिना जुताई गेहूं की बुवाई विधि पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया


भाटपाररानी -कृषि विज्ञान केंद्र मल्हना (भाकृअनुप-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी), देवरिया के विशेषज्ञों द्वारा ग्राम लबकनी गंगा तहसील बरहज में बिना जुताई गेहूं की बुवाई विधि पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर केंद्र के सस्य विज्ञान विशेषज्ञ डॉ कमलेश मीना द्वारा किसानों को बताया गया कि बिना जुताई अथवा शुन्य जुताई विधि से गेहूं की बुवाई करने पर लगभग ₹5000 प्रति एकड़ लागत में कमी आती है जिन खेतों में धान की कटाई होने में विलम्ब होता है उन क्षेत्रों के लिए यह विधि बहुत उपयोगी है इस विधि से बुवाई करने पर गेहूं बालियां आने के बाद गिरता नहीं है क्योंकि इसमें गेंहू की बुवाई उचित गहराई पर की जाती है। इसमें लागत, समय एवं पानी की भी बचत होने के साथ ही पैदावार भी अच्छी प्राप्त की जा सकती है। 

कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान विज्ञान विशेषज्ञ डॉ रजनीश श्रीवास्तव द्वारा किसानों को बताया गया कि संसाधन संरक्षण की तकनीकियों का उपयोग किया जाए तो हमारे प्राकृतिक संसाधनों की बचत की जा सकती है और पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त किया जा सकता है।


इस अवसर पर किसान गंगेश पाठक द्वारा बताया गया कि गेहूं की बुवाई के लिए यह विधि अत्यंत उपयोगी है हमने इस विधि को पिछले 3 सालों से अपनाया हुआ है किसानों में भी इसको अपनाने के लिए जागरूक हो रही हैं। क्योंकि इसमें उपज अच्छी होने के साथ ही लागत में भी बचत होती है।

सीसा परियोजना के दिवाकर सिंह ने भी किसानों को जीरो टिलेज मशीन के बारे में जानकारी दी।

इस अवसर पर सीसा से मनीष कुमार, राजकुमार के साथ-साथ अभिषेक यादव, रामायण यादव, संतोष चौबे, प्रेमनाथ, रमेश तिवारी, हरीश गुप्ता, विकास गुप्त, आध्या पांडे, राहुल यादव इत्यादि किसान उपस्थित रहे।

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