प्रत्येक कार्य राष्ट्र का कार्य है-चंद्रशेखर


कुशीनगर -भारत विश्व का सबसे युवा राष्ट्र है।युवाओं की उर्जा के नियोजन बिना राष्ट्र का विकास संभव नहीं है। एन एस एस ऐसे युवाओं की शक्ति को राष्ट्र के निर्माण हेतु नियोजित करने वाला संगठन है।भारत भूमि ने ऐसे युवाओं को पैदा किया है जिन्होंने अपनी प्रतिभा,मेहनत और समर्पण के बल पर विश्व भर में नाम किया है।स्वामी विवेकानंद,महात्मा गांधी,भगवान बुद्ध, चंद्रगुप्त मौर्य ऐसे ही नाम है।

उपरोक्त बातें स्वामी विवेकानन्द सेवा संस्थान कन्याकुमारी से संबद्ध और आजीवन व्रती स्वयंसेवक श्रवण ने एन एस एस शिविर के चौथे दिन मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कही। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सेवा से उत्तम कोई साधना नहीं होती है।मनुष्य के लक्ष्य राष्ट्र के लक्ष्य से अलग नहीं है। आप समाज हेतु जो भी कर सकते हैं अवश्य करें।इससे बड़ा पुण्य कार्य दूसरा नहीं हो सकता।किसी राष्ट्र की पहचान सिर्फ उसकी भौतिक प्रगति से नही होती अपितु राष्ट्र की पहचान उसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत से भी होती है।

मुख्य अतिथि डॉ सी बी सिंह ने कहा कि हमारे यहां कहा गया है कि 'श्रमेव जयते' अर्थात परिश्रम से ही विजय होती है। श्रम के बिना जीवन में सिद्धि नही मिल सकती। उन्होंने कहा कि मैं अपने जीवन में तीन लोगो को महत्व देता हू- स्वामी विवेकानंद, महात्मा बुद्ध और महात्मा गांधी।आप तीनों ने राष्ट्र निर्माण हेतु जो कार्य किया है वह अद्वितीय है।महात्मा गांधी ने राष्ट्र के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।आप काठियावाड़ रियासत में  दीवान के पुत्र और अंतरराष्ट्रीय वकील होने के बावजूद राष्ट्र की सेवा के लिए संत जैसा जीवन जिया। 

विवेकानंद जी अपने कार्यों और विचारों से  राष्ट्र के युवाओं के आदर्श बने।आपने आह्वाहन किया कि आप लोग नियमित रूप से एक घंटा देह को और एक घंटा देश को दे।आपका कहना था कि आज की युवा पीढी कार्य करने में नही अपितु कार्यों का जिक्र करने में विश्वास करती है।हमारे युवाओं को यही स्थिति बदलनी है।आपको शिकायतकर्ता नहीं अपितु शिकायतों का निवारणकर्ता बनना है। 

आज के बौद्धिक सत्र की अध्यक्षता कर रहे गणित विभागाध्यक्ष और सह विभाग संघचालक डॉ चन्द्रशेखर सिंह ने कहा कि हम जो भी सीखे उसे अपने जीवन में उतारें तभी ऐसे बौद्धिक सत्र की सार्थकता है।राष्ट्र की सेवा का मतलब सिर्फ सीमाओं की सुरक्षा करना नहीं है अपितु वह प्रत्येक कार्य राष्ट्र का कार्य है जिससे समाज जीवन को सकारात्मक दिशा मिलती है।

आपने कर्नाटक के मैसूर स्टेशन के सामने फल की दुकान लगाने वाले हाजप्पा का उदाहरण देकर राष्ट्र प्रेम और सेवा को समझाया इसी क्रम में आपने तुलसी गौड़ा का उदाहरण देकर बताया कि किस तरह एक महिला अपने व्यक्तिगत प्रयास से 30000 पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण में अनुकरणीय योगदान दिया।जीवन की मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति को भी जब व्यापार बना दिया जाता है तब मानवता कराह उठती है।

बौद्धिक सत्र की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित करके हुई।अतिथियों का परिचय एवम् स्वागत डॉ निगम मौर्य ने किया । जबकि आभार ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉ पारस नाथ ने किया।

कार्यक्रम का संचालन स्वयंसेविका अमृता जायसवाल ने किया।इस शिविर 150 स्वयसेवक प्रतिभाग कर रहे हैं।

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