मक्के के रूप में साल की तीसरी फसल भी उगाए किसान:डीएम
देवरिया- जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने आज अपराह्न कृषि विज्ञान केंद्र, मल्हना का निरीक्षण कर कृषि के क्षेत्र में हो रही प्रगति का लाभ किसानों तक पहुंचाने के संबन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा जनपद में पॉम ऑयल की प्रायोगिक खेती करने तथा मोनसेंटो प्रजाति के मक्का की खेती के लाभ से किसानों को अवगत कराया जाए। इससे किसानों की तकदीर बदल जाएगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में आम तौर पर वर्ष में दो ही फसल प्राप्त करने की प्रवृत्ति है। अप्रैल से जून तक आमतौर पर किसानों के खेत खाली रहते हैं। इस अवधि में मोनसेंटो प्रजाति के मक्के की खेती से किसान साल की तीसरी फसल प्राप्त कर सकते हैं। इसका प्रयोग खाने के साथ-साथ साइलेज उत्पादन में भी होगा और किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। मोनसेंटो प्रजाति का मक्का तीन माह में तैयार हो जाता है। उन्होंने मक्का उत्पादन बढ़ाने के लिए जनपद के प्रगतिशील कृषकों का प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने का निर्देश दिया। इसी तरह पॉम ऑयल तथा अरहर की मेड़ पर उगने वाली प्रजाति को प्रोत्साहन देने के लिए निर्देशित किया।
जिलाधिकारी ने प्रोजेक्ट आर्या के तहत पांच दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण सत्र को भी संबोधित किया।
उन्होंने मधुमक्खी पालकों को संबोधित करते हुए कहा कि मधुमक्खी पालन के बॉक्स को सरसो, गेहूं सहित विभिन्न फसलों के मध्य खेत में भी लगाए। इससे शहद प्राप्ति के साथ फसलों का उत्पादन भी बढ़ेगा।
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डॉ मान्धाता सिंह ने जिलाधिकारी को केंद्र के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आठ हेक्टेयर में फैले कृषि विकास केंद्र में दलहन, तिलहन, गेंहू, चावल सहित विभिन्न फसलों के उन्नत प्रजाति का बीजोत्पादन किया जा रहा है, जिन्हें स्थानीय किसानों के मध्य वितरित किया जाता है।
जिलाधिकारी ने कृषि विज्ञान केंद्र के फार्म का भी निरीक्षण किया। फार्म में विंटर डाउन प्रजाति का स्ट्राबेरी, गिरिजा प्रजाति का फूल गोभी, काशी उदय मटर, शुभ्रा प्रजाति का काबुली चना, आईपीएल 220 प्रजाति का मसूर, काशी संपदा प्रजाति का बाकला सहित विभिन्न फसल लगे मिले। जिलाधिकारी ने एक छोटे से मड़ई में स्थापित मशरूम उत्पादन केंद्र का भी निरीक्षण किया।
कृषि वैज्ञानिक एवं मशरूम उत्पादन विशेषज्ञ डॉ रजनीश श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान समय में 50 से अधिक कृषक मशरूम उत्पादन में सक्रिय हैं।
इस अवसर पर एसडीएम भाटपाररानी हरिशंकर लाल, नायब तहसीलदार हिमांशु सिंह सहित विभिन्न अधिकारी मौजूद थे।
गुलाबी मूली, ब्राउन मशरूम तथा रंग-बिरंगी फूल गोभी का होता है उत्पादन-
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मांधाता सिंह ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र में विभिन्न फसलों का प्रायोगिक उत्पादन किया जा रहा है, जिनमें गुलाबी मूली भूरे रंग की मशरूम, गुलाबी एवं पीले रंग की फूल गोभी शामिल है। इसके अलावा टिसी जैसे फसलों को भी किसानों के मध्य लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया जा रहा है।