विश्व स्वास्थ्य संगठन


विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) द्वारा अपने संविधान लागू करने के तिथि 07 अप्रैल 1950 से प्रति वर्ष पूरे विश्व में विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है यह दिवस बेहतर स्वास्थ्य के लिए लोगो में जन जागरूकता बढ़ाने हेतु दुनिया के 200 सेअधिक देशों में मनाया जाता है। बेहतर स्वास्थ्य मनुष्य की समृद्धि का महत्वपूर्ण संकेतक है । यह दिन सरकारों को नागरिकों के प्रति स्वास्थ्य कार्यक्रमों के नियोजन एवं क्रियान्वयन के दायित्वों की याद दिलाता है तथा भावी स्वास्थ्य संकटों के पूर्वानुमान के आधार पर नई योजनाओं के प्रति भी सचेत करता है। 

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य स्वास्थ्य और उससे जुड़ी समस्याओं पर चिंतन को बढावा देना है। पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेकर,अपनी क्षमता के अनुसार कार्य करके एवं नशीले पदार्थों के सेवन से परहेज करके हमअच्छा स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते है। नित्य दिन के योग, प्रणायाम, एवं ध्यान निरोगी काया एवं स्वस्थ मन मस्तिष्क के लिए अपरिहार्य है।

हम भारतवासी इस वर्ष अपनी आजादी की 75वीं वर्षगाँठ मनाते हुये अमृत महोत्सव का समापन करने जा रहे है वही विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी स्थापना का 75वीं वर्षगांठ मना रहा है ।इस संगठन ने दुनिया भर में सेहत के मोर्चे पर व्यापक सफलता पायी है।

विगत 75 वर्षों में अनेक संक्रामक रोगो से लड़ने में सफलता मिली है। चेचक उन्मूलन एक व्यापक सफलता है। हम पोलियों उन्मूलन के कगार पर है। विश्व स्तर पर टी०वी०  पर पूर्ण नियंत्रण हो चुका हैं । कोविड - 19 के विश्व व्यापी संक्रमण से मुक्ति हेतु पूरे प्राणपन से पूरी दुनियाँ एक जुट होकर "वसुधैव कुटुम्बकम्' की परिकल्पना को साकार किया है। आज हम कोविड-19 के नये वैरिएन्ट "सार्सकोव-2" से बचाव हेतु कटिबद्ध है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस के 1950 का "थीम अपने स्वास्थ्य सेवाओं को जानियें। वर्ष – 2020-21 का थीम "स्पोर्ट नर्सेज एण्ड मिडवाइव्स और एक निष्पक्ष और स्वस्थ्य दुनिया का निर्माण था । इस वर्ष का थीम "सबके लिये स्वास्थ्य है।"

आज पूरी दुनियाँ में 20 प्रतिशत लोग मोटापे से तथा 50 प्रतिशत लोग अनिद्रा रोग से पीड़ित है। हर चार में से एक व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित है तथा हम हर पाँच में से एक व्यक्ति का ब्लड प्रेशर अनियन्त्रित रहता है। 15-27 वर्ष के बच्चों में अवसाद से पीड़ित होने के कारण आत्म हत्या की प्रवृतियॉ बढ़ रही है। पुरी दुनिया में हर साल लगभग 1.30 करोड़ लोग पर्यावरणीय या जलवायु से उत्पन्न कारणों से अपनी जान गवा बैठते है। भारत में होने वाली कुल मौतो का 61.8 प्रतिशत हिस्सा गैर - संचारी रोगो का है। पिछले कुछ दशकों में स्वास्थ्य देख-भाल पर होने वाले परिवारों के व्यय में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई हैं।

आज निश्चित रूप से स्कूल के पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य
समस्याओं से सम्बंधित विषय को शामिल किये जाने की आवश्यकता है। सरकार तथा स्वयंसेवी संगठनों को इस दिशा में प्रयत्नशील होना पड़ेगा। तभी हम स्वस्थ एवं समृद्ध विश्व की परिकल्पना कर सकेंगे ।

मनोज "मैथिल " 

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