कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को मोटे अनाज उत्पादन के लिए किया जागरूक
देवरिया -आज कृषि विज्ञान केंद्र देवरिया के विशेषज्ञों द्वारा मोटे अनाजों का महत्व एवं उन्नत खेती पर जागरूकता अभियान के तहत ग्राम भिंडा मिश्र, भाटपार रानी में किसान गोष्ठी का आयोजन किया।
इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी एवं उद्यान विज्ञान विशेषज्ञ डॉ रजनीश श्रीवास्तव के द्वारा कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र की गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा की एवं किसानों को बताया कि 2023 को पूरे विश्व में मोटे अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है |
उन्होंने किसानों को मोटे अनाज के महत्व के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि अन्य अनाजों की अपेक्षा मोटे अनाजों में शरीर के निर्माण के लिए आवश्यक पोषक तत्व जैसे-कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, कॉपर, जिंक कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन बी, विटामिन ए एवं सुपाच्य रेशा इत्यादि अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि बाजरा में लगभग 11 मिलीग्राम आयरन पाया जाता है, जो एनीमिया रोग को दूर करने में सहायक होता है । इसी प्रकार 132 माइक्रोग्राम के लगभग कैरोटीन भी पाया जाता है जो आंखों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। ज्वार में कॉपर और आयरन अच्छी मात्रा में उपलब्ध होने के कारण इसके सेवन से शरीर में रेड ब्लड सेल की संख्या बढ़ती है एवं एनीमिया रोग भी दूर होता है। इन मोटे अथवा पोषक अनाजों में कम ग्लाइसेमिक सूचकांक होने के कारण अन्य अनाजों की अपेक्षा मधुमेह रोगियों को खाने की सलाह दी जाती है।
पोषक अनाजों का सेवन करने से मोटापा, रक्तचाप, मधुमेह एवं कैंसर जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है एवं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के सस्य विज्ञान विशेषज्ञ डॉ कमलेश मीणा द्वारा किसानों को मोटे अनाज जैसे-ज्वार्,बाजरा,रागी, कोदो,कुटकी इत्यादि की खेती एवं महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया।
डॉ मीणा द्वारा किसानों को बताया गया कि आज से कुछ दशकों पहले पोषक अनाजों की खेती हमारे देश में बड़े पैमाने पर की जाती थी परंतु आज के समय में धान और गेहूं के द्वारा इन पोषक अनाजों का स्थान ले लिया है।
मोटे अनाजों की खेती प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर काम लागत में आसानी से की जा सकती हैं इन मोटे अनाजों की खेती कर कम लागत एवं मेहनत में अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है जिससे किसानों की आय बढ़ने के साथ-साथ अपने परिवार को संतुलित आहार प्रदान करने में मदद की जा सकती है। इन मोटे अनाजों में अन्य अनाजों की भांति शरीर के निर्माण के लिए आवश्यक पोषक तत्व जैसे-कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, कॉपर, जिंक कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन बी, विटामिन ए एवं सुपाच्य रेशा इत्यादि प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। बाजरा में लगभग 11 मिलीग्राम आयरन पाया जाता है जो एनीमिया रोग को दूर करने में सहायक होता है इसी प्रकार 132 माइक्रोग्राम के लगभग कैरोटीन भी पाया जाता है जो आंखों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। ज्वार में कॉपर और आयरन अच्छी मात्रा में उपलब्ध होने के कारण इसके सेवन से शरीर में रेड ब्लड सेल की संख्या बढ़ती है एवं एनीमिया रोग भी दूर होता है।
इन मोटे अथवा पोषक अनाजों में कम ग्लाइसेमिक सूचकांक होने के कारण अन्य अनाजों की अपेक्षा मधुमेह रोगियों को खाने की सलाह दी जाती है। पोषक अनाजों का सेवन करने से मोटापा, रक्तचाप, मधुमेह एवं कैंसर जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है एवं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
कार्यक्रम का संचालन वशिष्ठ मिश्र तथा धन्यवाद ज्ञापन ग्राम प्रधान संजय भारती ने दिया।
इस अवसर पर ए डी ओ एजी राम दुलारे प्रसाद एवम बलविंद्र सिंह बीज गोदाम प्रभारी विकास खंड भाटपार रानी तथा प्रगतिशील किसान सुरेश मिश्र, महेश मिश्र, रघुनाथ मिश्र, बाबू शंकर मिश्र, दिनेश मिश्र, श्रीराम मिश्र, राजकुमार मिश्र, भगमानी, गुड्डी देवी, सीमा एवं कलावती सहित 30 से अधिक कृषक पुरुष एवं महिलाएं उपस्थित रहे।