पराली न जलाये एवं फसल अवशेषों से कम्पोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाकर करें प्रयोग
अमेठी- जिला कृषि अधिकारी अखिलेश पाण्डेय ने अवगत कराया है कि जनपद के किसान फसल अवशेष को न जलाये, क्योंकि उन्हें जलाने से उनके जड़, तना, पत्तियों के लाभदायक पोषक तत्व नष्ट व मृदा ताप में वृद्धि होती है जिसके कारण मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने बताया कि मृदा में उपस्थित सूक्ष्म जीवाणु नष्ट होने से मृदा में उपस्थित जीवांश पदार्थ सड़ नही पाता है तथा पौधे पोषक तत्व प्राप्त करने में असमर्थ होते है परिणामस्वरूप उत्पादकता में गिरावट आती है। इसके अतिरिक्त वातावरण के साथ-साथ पशुओं के चारे की व्यवस्था पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने बताया कि फसल अवशेषों को जलाने से फसलों व आबादी में आग लगने की सम्भावना बनी रहती है। फसल अवशेष जलाने से हो रहे वायु प्रदुषण से अस्थमा व एलर्जी जैसी अन्य कई प्रकार की बीमारियों को बढावा मिलता है एवं धंुध के कारण दुर्घटनाएं हो सकती है।
किसान फसल अवशेषों का उचित प्रबन्ध कर फसल अवशेषों से कम्पोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाकर प्रयोग करें तो खेत की उर्वरता के साथ ही भूमि में लाभदायक जीवाणुओं की संख्या में भी वृद्धि होगी एवं मृदा की भौतिक एवं रासायनिक संरचना में सुधार होगा जिससे भूमि में जल धारण की क्षमता एवं वायु संचार में वृद्धि होगी।
फसल अवशेषों की मल्चिंग करने से खरपतवार कम होते है तथा जल का वाष्पोत्सर्जन भी कम व सिंचाई जल की उपयोग दक्षता बढ़ती है। इसके अतिरिक्त 05 कि0ग्रा0 यूरिया को एक एकड़ में छिटकवा विधि से डालकर सिंचाई करने पर फसल अपशिष्ट जल्दी सड़कर खेतों में मिल जातें है।
इस सम्बन्ध में उन्होंने बताया कि अतिरिक्त पराली को गोशालाओं में समर्पित कर इसमें लगने वाले परिवहन संबंधित व्यय को ग्राम पंचायतों द्वारा वहन किये जाने के निर्देश दिये गये है एवं संबंधित ग्राम पंचायत ग्राम प्रधान/सचिव/कृषि विभाग के कार्मिक को किसान सूचित कर सकते है।
उन्होंने बताया कि फसल अवशेषों के जलाने से होने वाली हानियों को दृष्टिगत रखते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा फसल अवशेष जलाना दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है तथा अर्थदण्ड के रूप में कृषि भूमि का क्षेत्र 02 एकड़ से कम होने की दशा में अर्थदण्ड रू0 2500, पांच एकड़ तक होने की दशा में अर्थदण्ड रू0 5000 एवं पांच एकड़ से अधिक होने की दशा में अर्थदण्ड रू0 15000 निर्धारित किया गया है तथा अपशिष्ट के जलाये जाने की पुनरावृत्ति होने की दशा में अर्थदण्ड इत्यादि की कार्यवाही हो सकती है।
इसी क्रम में उन्होंने बताया कि शासन द्वारा हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट के प्रयोग करने के निर्देश है, सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट के विकल्प के रूप में अन्य फसल अवशेष प्रबन्धन के यंत्र जैसे मल्चर, स्ट्रा रीपर, स्ट्रा रेक, पैडी स्ट्रा चापर आदि के प्रयोग करने के निर्देश शासन द्वारा दिये गये है। साथ ही पराली जलाने की घटना प्रकाश में आने पर संबंधित कृषक/कम्बाइन हार्वेस्टर के मालिक के विरूद्ध जांचोपरान्त यथा विधि कार्यवाही भी की जा सकती है। बिना सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट युक्त कम्बाइन हार्वेस्टर को सीज भी किया जा सकता है।
उक्त के क्रम में उन्होंने जनपद के समस्त किसानों से अपील कर फसल अवशेषों का उचित प्रबन्धन करें व पराली न जलाये एवं भूमि की उर्वरा शक्ति को बढाते हुए वातावरण को स्वच्छ बनाये, जिससे अधिक उत्पादन प्राप्त करते हुए अपनी आय में वृद्धि कर किसी भी विषम परिस्थिति से बच सके।