हमारी संस्कृति, हमारी विरासत‘‘ विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन कल होगा

  


गोरखपुर -राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर (संस्कृति विभाग, उ0प्र0) द्वारा विश्व विरासत दिवस के अवसर पर ‘‘हमारी संस्कृति, हमारी विरासत‘‘ विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन कल आक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल, कजाकपुर-रामपुर, गोरखपुर में किया जा रहा है। जो विशेषकर छात्र-छात्राओं के लिए अत्यन्त लाभप्रद होगी। 

प्रदर्शनी में देश के प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों के महत्व के विभिन्न पहलुओं को दिखाने के साथ उनके संरक्षण के प्रति भावी पीढ़ी के युवाओं को जागरूक करने का एक सार्थक प्रयास होगा। हम अपने गौरवशाली अतीत को संरक्षित रखेंगे, तो आने वाली पीढ़ियां उस पर गर्व का अनुभव करेंगी।

उक्त अवसर पर संग्रहालय के उप निदेशक, डाॅ0 मनोज कुमार गौतम ने बताया कि दुनियाभर में 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस मनाया जा रहा है। दुनिया में कई अद्भुत निर्माण विरासत हैं जो वक्त के साथ जर्जर होती जा रही हैं। इनके स्वर्णिम इतिहास और निर्माण को बचाने के लिए विश्व विरासत दिवस या विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है। वैसे तो अनेक वैश्विक स्तर की धरोहरें हैं, जो दुनियाभर में प्रसिद्द हैं लेकिन अगर हम भारतीय विश्व धरोहरों की बात करें तो भारत में वर्तमान में 40 विश्व धरोहरे हैं। 

यूनेस्को ने भारत में कुल 40 विश्व धरोहरों को घोषित किया है। इनमें सात प्राकृतिक, 32 सांस्कृतिक और एक मिश्रित स्थल हैं। भारत में सबसे पहली बार एलोरा की गुफाओं (महाराष्ट्र) को विश्व विरासत स्थल घोषित किया था। यूनेस्को द्वारा घोषित सबसे ज्यादा विश्व विरासत महाराष्ट्र में है। विश्व धरोहर दिवस पर भारत की प्रमुख विरासतों में से लाल किला, अजंता व एलोरा की गुफाएं, नालंदा विश्वविद्यालय, महाबोधि मंदिर, बोधगया, साॅंची के बौद्ध मंदिर, खजुराहों, महाबलीपुरम, हुमायूॅं का मकबरा, सुंदरबन, कोणार्क सूर्य मंदिर, कंचनजंघा नेशनल पार्क, ताजमहल आदि विरासत के छायाचित्र उक्त प्रदर्शनी के आकर्षण के केन्द्र होंगे। 

इस वर्ष विश्व विरासत दिवस को मनाने के लिए संग्रहालय द्वारा आक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल, गोरखपुर को चुना गया है। यह एक प्रयास है कि संग्रहालय स्कूलों में जाय और अपनी विरासत से नई पीढ़ी को परिचित कराया जाय ताकि इसके प्रति नई पीढ़ी में जागरूकता आयें और हम अपनी संस्कृति व विरासत को सशक्त बना सके। 

किसी भी देश के लिए उसकी धरोहर उसकी अमूल्य संस्कृति होती है। किसी भी देश की पहचान, वहां की सभ्यता की जानकारी इन धरोहरों से ही पता चलती है। आज देश का गौरव बढ़ाने का काम यह धरोहरें ही कर रही हैं। इतिहास में कब, क्या, कहां घटित हुआ यह जानना अति आवश्यक है। धरोहरों के संरक्षण के लिए एक विशेष दिन 18 अप्रैल को चुना गया। जिसे प्रत्येक वर्ष विश्व धरोहर दिवस के रुप में मनाया जाता है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति, सभ्यता और इतिहास से भली भांति परिचित हो सके। विलुप्त हो रही ऐतिहासिक धरोहरों को सुरक्षित एवं संरक्षित करने की दिशा में विश्व धरोहर दिवस पर राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर द्वारा उक्त प्रदर्शनी‘ लगाई जा रही है। 

विश्व धरोहर दिवस को मनाने का प्रस्ताव सर्वप्रथम 18 अप्रैल 1982 को ट्यूनीशिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्मारक व पुरास्थल परिषद की बैठक में किया गया, जिसके सुझाव को 1983 में यूनेस्को सम्मेलन में अनुमोदित किया गया, तब से प्रत्येक वर्ष 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस का आयोजन किया जाता है।

 उन्होंने यह भी कहा कि यूनेस्को द्वारा प्रत्येक वर्ष एक थीम (अवधारणा) दी जाती है और इस वर्ष 2022 की थीम है  “Heritage and Climate”  अर्थात ‘‘धरोहर और जलवायु।

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