जब से चढ़ल सवनवा ना
बरसे रोज बदरवा रिमझिम ,
जबसे चढ़ल सवनवा ना
बिजुरी चमके, बादल गरजे ,
कोइलिया कू - कू बोलइ ना
अमराई में छिपल सुगनवा ,
जबसे चढ़ल सवनवा ना
बरसे रोज बदरवा रिमझिम ,
जबसे चढ़ल सवनवा ना
नदिया,नाला, ताल- तलैया,
भरि गइल पानी सगरी ना
बिहंसइ चारिउ ओर शिवनवा,
जबसे चढ़ल सवनवा ना
बरसे रोज बदरवा रिमझिम ,
जबसे चढ़ल सवनवा ना
सीतल हो गईं धरती मइया,
हरियाली मन भावइ ना
हर्षित लड़िका, बूढ़- जवनवा,
जबसे चढ़ल सवनवा ना
बरसे रोज बदरवा रिमझिम ,
जबसे चढ़ल सवनवा ना
शुरू किसानी - खेती भइले,
घर घर में खुशहाली आइल ना
लह लह लहरे खेत में धनवा,
जबसे चढ़ल सवनवा ना
बरसे रोज बदरवा रिमझिम ,
जबसे चढ़ल सवनवा ना
सखिन संग झूला झूलइ धनियां ,
सजन के बिरह सतावइ ना
राह निहारइ बइठि अंगनवा,
जबसे चढ़ल सवनवा ना
बरसे रोज बदरवा रिमझिम ,
जबसे चढ़ल सवनवा ना
( राम नरेश" नरेश ")