कबीर जैसा कोई नहीं
न पंडित, ना मौलाना
ना संत, फ़क़ीर, दीवाना
निर्भीक सच्चा वक्ता
कोई कवि नहीं
कबीर जैसा कोई नहीं
काशी क्या ? क्या मगहर ?
सुदूर गाँव ,नगर, शहर
उन सा पीर धीर - गम्भीर
मिला झंडाबरदार कहीं नहीं
कबीर जैसा कोई नहीं
पुजारी, उलेमा, संत ,कसाई
जिनकी गलती दी दिखाई
सच का आईना दिखा - दिखाकर
सबकी चूलें हिलाई वहीं
कबीर जैसा कोई नहीं
भक्त, गुरु,नेकदिल इंसान
देव,फरिश्ता,पैगम्बर ,भगवान
मानवता का सच्चा प्रतिमान
जगत में दूजा जन्मा नहीं
कबीर जैसा कोई नहीं
( पुष्प रंजन )