दलहनी तिलहनी फसलों की माँहू तथा अन्य कीटों से करें सुरक्षा
देवरिया- जिला कृषि रक्षा अधिकारी रतन शंकर ओझा ने बताया है कि वर्तमान में मौसम में हो रहे आकस्मिक बदलाव, नमी, बदली तथा तेज हवाओं के कारण दलहनी फसलों (चना मटर अरहर) तथा तिलहनी फसल-सरसों व साथ ही गेहू पर भी माहूं कीट तथा अन्य फलीभेदक कीटों का प्रकोप हो सकता ।
फसलों की सुबह-शाम निगरानी अत्यंत आवश्यक है। यह मौसम मांहूँ कीट की तेज वृद्धि में सहायक है। उन्होंने बताया है कि मांहूँ कीट हरे रंग के, 3 मि.मी. लम्बे, चुभाने व चूसने वाले मुखांग के साथ समूह में रहने वाले कीट हैं। इसके शिशु व प्रौढ पौधों के कोमल तनों, फूलों, नई पत्तियों आदि से रस चूसकर उन्हें कमजोर व क्षतिग्रस्त कर देते हैं तथा पत्तियों पर मधुस्राव कर देते है जिस पर काले कवक का प्रक्रोप हो जाता है एवं प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित होती है इस कीट का प्रकोप जनवरी से मार्च तक रहता है। यूरिया नाइट्रोजन की अधिक मात्रा एवं पोटाश की कमी होने पर मांहूँ का प्रकोप बढ़ने की सम्भावना होती है।
मांहूँ का अधिक प्रकोप होने पर गेहूँ की बालियां व सरसों में दाने नहीं भर पाते। यदि खेत में कहीं इन कीटों का प्रकोप दिखाई दे तो किसानों को सतर्क हो जाना चाहिए, क्योंकि इसकी संख्या बहुत तेजी से बढती है। मांहूँ कीट अण्डा न देकर सीधे शिशु कीटों को जन्म देते है, जो तुरन्त सरसों की फलियों व डण्ठियों से रस चूसना शुरू कर देते है।