होली की आई बहार ----

चलो री सखी देखन होली की आई बहार आई बहार देखो छाई बहार चलो री सखी देखन होली की छाई बहार । गुजिया बनाय हम रखलौं अंगनमा अब हूं ना ऐले मोरे सुंदर सजनवा सजनवा के करुं इन्तजार । चलो री सखी देखन------ । मालपूआ बनाय हमें रखलौं अंगनवां अब तक ना आयो मेरा निष्ठुर सजनवा बैठ-बैठ के कमर पिराय चलू सखी देखन । ठेकुआ बनाई हम रखलौं अंगनमा अब तक ना आयो बेदर्दी सजनवा अंखिया दरद (दर्द) से पिराय चलो री सखी देखन-- । स्वाली बनाय हम रखलौं अंगनमा अब तक ना आयो मेरा बैरी सजनमा ननद जी के मन हरषाय चलो रे सखी देखन । दही भल्ला बनाय हम रखलौं अंगनमा अब तक ना आयो सासु जी के ललनमां सासु मोहे ताना सुनाय चलो री सखी देखन------ । रंग गुलाल लेके ठार छी अंगनमां अब तक ना दीखले परछाई सजनवा आशा पे पानी फिर जाय चलो रे सखी देखन------ । डॉ० संजुला सिंह " संजू"